थोड़ा रूक, थम, सम्भल ज़रा, ऐ ज़िंदगी मौलत दे तो दे हमें,
थोड़े से ग़म हैं, थोड़ी सी ख़ुशी, जी तो लेने दे हमें ज़रा।
कुछ साँसें हैं रूकी-रूकी सी, कुछ दिल है अपना बेचैन बड़ा,
गर पूँछें कोई ख़ैरियत मेरी, रो दूँ मै भी ज़ार-ज़ार ज़रा।
जो ना कह पाए, आज वो कहने का दिल है, फ़ुरसत मिले तो सुन,
आज कह लेने दे हाल-ए-दिल, आ बैठ तो मेरे पास ज़रा।
किश्तों में मिली तेरी मुहब्बत, किश्तों में जी ज़िंदगी हमने,
दिल खोल कर करने दे बातें, सूकून से मर लेने दे ज़रा।
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