Tuesday, 2 June 2015

हाल-ए-दिल




थोड़ा रूक, थम, सम्भल ज़रा, ज़िंदगी मौलत दे तो दे हमें,

थोड़े से ग़म हैं, थोड़ी सी ख़ुशी, जी तो लेने दे हमें ज़रा।


कुछ साँसें हैं रूकी-रूकी सी, कुछ दिल है अपना बेचैन बड़ा,

गर पूँछें कोई ख़ैरियत मेरी, रो दूँ मै भी ज़ार-ज़ार ज़रा।


जो ना कह पाए, आज वो कहने का दिल है, फ़ुरसत मिले तो सुन,

आज कह लेने दे हाल--दिल, बैठ तो मेरे पास ज़रा।


किश्तों में मिली तेरी मुहब्बत, किश्तों में जी ज़िंदगी हमने,

दिल खोल कर करने दे बातें, सूकून से मर लेने दे ज़रा।

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