Monday, 5 October 2020

एतराज़



मुझे एतराज़ है...

उनके ज़ुल्म करने सेसचाई छुपाने से

क़ातिलों के साथ हमदर्दी सेइंसानो को बाँट देने से


मुझे एतराज़ है...

नोजवानो में बेकारी और बेरोज़गारी बढ़ जाने से

बढ़ती महग़ाई सेबीमारों का इलाज मुश्किल हो जाने से,



मुझे एतराज़ है...

इबादतगाह तोड़ देने सेबस्तियाँ उजाड़ने से,

जानवर के नाम पर इंसानो को मार देने से,


मुझे एतराज़ है...

बेटियों को ना पढ़ाने वाली सोच सेउन्हें बोझ समझने सेउनके साथ हेवनित वाले सुलूक से,


मुझे एतराज़ है...

ग़रीब किसानो और मज़दूरों के हक़ दबाए जाने से,

कुर्सी की बिसातों सेसियासत के गंदे खेलों से


मुझे एतराज़ है...

और मेरा एतराज दर्ज किया जाएये कहना है मेरा हुक़्मरानो से,

मैं आवाज़ हूँमज़लूमो कीजो कुछ ना कह पाए किसी से....









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