बहुत हो गया अब, उठो इस अस्पताल के बिस्तर से,
यें आक्सिजन मास्क, ड्रिप, इंजेक्शन हटा कर बात करो मुझसे,
मैं ऐसे किसी थके हुए, बेबस इंसान को नहीं जानती,
जो मायूस है और एक-एक साँस के लिए जिद्दोजहद कर रहा है।
अभी इसी वक्त, मुझे मेरा वो शक़स लौटा कर दो,
परियों की कहानी के वो जादू की छड़ी है, वो हैं तो सब मुमकिन है,
वो जो सुपेरमन जैसा हमेशा, लड़ जाते थे हर मुश्किल से,
मैंने ज़िंदगी की हर जंग में उसे डटकर लड़ते देखा है।
ये जगह तुम्हारे लिए नहीं बनी, तुम यू नहीं थक सकते,
अभी दुनिया के नक़्शे पर कई जगह रह गयीं हैं जाने को,
अभी कई इमारतें और हैं तामीर कराने को,
ज़मानेभर की फ़िक्र हुआ करतीं थीं ना तुम्हें, तुम्हें हर ज़िद को पूरा करते देखा है।
चलो के अभी मंज़िल दूर है, ये सफ़र मुश्किल सही, तय करना ज़रूर है,
अभी नेकियाँ कमानी हैं बहुत, अभी ज़िम्मरियाँ उठनी हैं बहुत,
उठो के साँस ले लो पूरी, पंख फ़ैला के उड़ान भर लो,
कहो जो खुल कर कहना है, आप को ये जंग हिम्मत से जीतना है।
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