यें दूरी हैं दरमियाँ और मजबूरियाँ हैं बहुत ,
तुमसे मिलने आना, एक ख़्वाब सा हुआ जाता है,
महज़ एक मुलाक़ात को दिल मायूस हुआ जाता है,
तुम, हमारे मिलने की उमीद बना के रखना।
सुना है तुम्हारी तरफ़ मानसून का सुहाना मौसम है,
घने बादलों का रोमानी समा और दिलकश हवायें हैं,
तुम मेरे लिए वो समा उठा के रखना,
मेरे लिए कुछ बारिशें बचा के रखना।
अँधेरा है, तुम तक आने का पता नहीं कोई,
तलाश करते हुए अंधेरों में, डर है खो जाने का,
मैं थक या हार जाऊँ, कभी मायूसी से,
तुम, मेरे लिए रोशनियाँ जला के रखना।
कैसे कह दू के ज़िंदगी के सफ़र में तुम हमसफ़र नहीं,
दिल की गहराईयों से तुमने भी साथ निभाया है,
वक़्त के साथ कभी फीका पड़ने लगे रिश्ता,
तुम, वो रिश्ते की मीठस बचा के रखना।
कुछ ज़िंदगी के ख़वाब है जो सोने नहीं देते,
कुछ दिल में बेचनियाँ हैं, जो सकूँ नहीं लेने देतीं,
वो कुछ पल जो, जी सकूँ साथ तुम्हारे,
तुम, मेरे लिए वो ज़िंदगी बचा के रखना।
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