ख़ामोश बैठी रही मैं जब, वो देख रहा था मेरी आँखो में,
कुछ हिम्मत उसकी और कुछ मेरी नाकाम मुहब्बत का हश्र देखिये।
टूटे दिल का एक दर्द था, एक तड़प थी, मायूसी थी मुझ में, ज़माने भर की,
गिरने ना दिया एक क़तरा भी पलकों से, मेरे सब्रोबर्दाश्त की इंतिहा देखिये।
मैं हैंरा थी वफ़ाए निभा के भी और वो सूकून से था बेवफ़ाई करके भी,
सारे खुआब, मन्नतें और मेरी दुआएँ हो गई कैसे बेअसर देखिये।
वो कह कर मुझे अपनी दुनिया, चुपके से ग़ैर का हो लिया,
मुहब्बत के नाम पर करते हैं लोग, कैसे-कैसे शर देखिये।
मै सोचती रही के वो रोक लेगा, जाने को होंगीं मैं जब भी,
उसने कर दिया यू ही ख़ामोशी से, कैसे मुझे दरबदर देखिये ।
Heart wrenching Ashi! Who is gonna sing this beautiful song direct from heart? As perfect as you have always been. Thanks for giving the link to this beautiful poem.
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