Tuesday, 19 February 2019

जनता स्टोर (समीक्षा)

मेरी राजनीति और राजनितियों में कभी दिलचस्पी थी ही नहीं, कभी सोचा नहीं था केजनता स्टोर’ टाईप की किताब कभी पढ़ूँगी और वो भी पूरी।
पर पूरा तो पढ़ना ही था वज़ह ही कुछ ऐसी थी. दरसअल लेखक और मैं साथ स्कूल में १२वे में थे और वो भाई-बहन वाली टूनिंग होती है ना बस कुछ यु समझ लीजिये. पहली किताब थी वह भी भाई की और इतना ही नहीं वह कहीं ना कहीं राइटिंग की दुनिया में सेंध लगाने जा रहा था, तो लाज़मी थी के देखू आखिर लिखा किया है.

जनता स्टोरपूरी तरह राजस्थान यूनिवर्सिटी की ९० दशक की राजनीति का आंईना है, एक निदोष स्टूडेंट् का आत्मदाह की घटना हो या बोयज हॉस्टल के रेप केस, उस वक़्त ये सनसनीख़ेज़ ख़बरें थी, जिनकी दहशत आज भी ज़हन मे है।

वो दोस्तों काचाय पर चले कहना हो’ या लूना का पंडल धूमाके चलाना हो या स्कूल में वो मेरी है कहना हो या उर्मिला की दीवानगी हो.... सब ने कुल मिला के लेट ९० के पीरियड की यादें ताज़ा कर दी।

मयूर, दुस्यंत, श्रुति, शेखर भैया सब ऐसे करक्टेर्स हैं जैसे उन्हे हम भी जानते हो. पूजा नाम के करैक्टर का लास्ट में ट्विस्ट देना, नुकड़ नाटक, एक दोस्त का राजनीति की भेट चढ़ जाना, क़तल, छल-कपट, बड़े नेताओ का यूनिवर्सिटी में शतरंज की बिसात बना देना, पुलिस और जेल कुल मिला के यह किताब उस वक़्त का सही आइना है.
नवीन चौधरी एक दिलचस्प और सच्ची किताब लिखने के लिए दिल से मुबारकबाद.

अब आपकी अगली किताब का इंज़ार रहेगा.....
अगर आपकी राजनीति में दिलचस्पी ना भी हो तो एक दबी_छुपे सच्ची से रूबरू होने के लिए यह 'जनता स्टोरज़रूर पढियेगा. खरीदने के लिए लिंक 
https://www.amazon.in/Janta-Store-Naveen-Choudhary/dp/8183618960 


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