मेरे उन जज़्बातों
पर जो सिर्फ
तुम्हारे लिए हैं,
वो साँसे जो लीं,
तुम्हारे लिए जीने
की खुआईश में,
वो लम्हें जो सिर्फ
तुम्हें याद करके
गुज़ारे,
मेरे खु़आबो-ख़यालों पर,
सिर्फ और सिर्फ
मेरा हक है।
मुझ से ना
कोई सवाल हो,
ना जवाब देही
किसी बात की,
मैंने माँगा नहीं किसी
से किसी को,
ना कोई दावा
किया,
दिल की बातें
दिल में ख़ामोशी
से दफ़न की
हमेशा,
मेरे बापर्दा मुहब्बत पर,
सिर्फ और सिर्फ
मेरा हक है।
खोल लिया मैंने
भी रोज़ा, तेरी
यादों के फाके
के बाद,
उस पर सब्र
भी के तेरे
दीद के बैग़र,
मंज़ूरी दे दी
ईद को,
तेरी मुहब्बत के लिबास
में अब नमाज़
अदा होगी मेरी,
मेरे ईश्क की
हर इबादत पर,
सिर्फ और सिर्फ
मेरा हक है।
दिल है नादा
और उसमें अरमान
बेहिसाब,
गुनाह तो जब
हो, के हम
ज़ाहिर करें तमन्ना
कोई,
बेज़ुबा है दिल
और इंतेज़ार में
आँखें मेरी,
बंदिशे में पले
मेरे प्यार पर,
सिर्फ और सिर्फ
मेरा हक है।
मेरी खुआईशें, अब तुम्हें
हासिल करने की
नहीं,
मेरे आदतें, अब तेरा
पीछा करने की
नहीं रही,
अब वो सब
भी नहीं करती
जो तुम्हें पसंद
आ जाए,
मेरे हर अंदाज़
पर, सिर्फ और
सिर्फ मेरा हक
है।
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