Wednesday, 26 June 2019

मैं कौन हुँ




मैं काल हुँ, महाकाल हुँ,
मैं दर्द हुँ, चीख़ की पुकार हुँ,
मैं बला हुँ, जो टले नहीं,
मैं यम हुँ, जो अड़े वहीं,
मैं डरावना, मैं ख़ूख़ार हुँ,
मैं दहक हुँ, मैं आग हुँ,
मैं कलंक हुँ, मैं दाग़ हुँ,
मैं अंहकार हुँ, मैं बिमार हुँ,
मैं तबाही का आसार हुँ,
मैं जो सुनाऊ, तू सुन वही,
मैं कहू, तू कह वही,
मैं कहू, तू ख़ा वही,
मैं कहू, जैसे तू रह वही,
मैं इंसा नाम का, मैं इंसानियत से परे,
मैं जनवार को करता शरमसार हुँ,
मैं मानव-सा, पर दानव हुँ, 
मैं तेरी मौत की पैग़ाम हुँ,
मैं अहम, मैं अंकार हुँ,
मैं आज, इंसाफ का ठेकेदार हुँ,
मैं ही बताऊ, जुर्म तेरा,
मैं ही तेरी सज़ा, सुनने को तलबगार हुँ,
मैं इंसानियत से परे, पथ्थर से बना,
मैं हमदर्दी से दूर, भावहीन-सा,
तू बेबस है, तू लाचार है,
तुझे जीने का नहीं कोई अधिकार है,
तू ख़ून में लतपत, लोथड़ा कोई,
तू दम बा दम साँसे लेता, मजबूर कोई,
तू पानी माँग और जीने का हक भी,
तेरी तस्वीरे लेता, एक मशीन-सा,
मैं विजयी, मैं शक्तिशाली,
मैं राजनिति, मैं ही मोहरा हुँ,
मैं ही बहुत और मैं ही थोड़ा हुँ,
मैं कलयुग का, भद्दा चेहरा हुँ,
मैं आज का, बदसूरत सच हुँ,
मैं अभिशाप हुँ, एक फैली महामारी हुँ,
अब कफ़न बाँध के निकलों सर पे,
किसी भी को, मारने पर उतारू,
मैं भंयानक, मैं ख़ून की प्यासी,
मैं भीड़ हुँ, मैं भीड़ हुँ, मैं भीड़ हुँ...



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