तेरे लिए यू
दिन भर, कुछ
ना खाने से,
तेरे अरमानो में यू,
सज सवार जाने
से,
ना उम्र बढ़
जाएगी तेरी, ना
तू ही मिलेंगा,
फिर भी तुझ
से अलग, तंहा
मैं चाँद देखतीं
हूँ।
चाँद देख कर,
वो सब रस्में
अदा करने से,
तेरे अहसासों के साथ,
घूँट भर पानी
पीने से,
ना उम्र बढ़
जाएगी तेरी, ना
तू ही मिलेंगा,
फिर भी तुझ
से अलग, तंहा
मैं चाँद देखतीं
हूँ।
अंधेरी रात की
सिहाई में, बादलों
की चादर से,
मेरा वो सुलगना,
तेरा किसी और
के साथ चाँद
देखने से,
ना उम्र बढ़
जाएगी तेरी, ना
तू ही मिलेंगा,
फिर भी तुझ
से अलग, तंहा
मैं चाँद देखतीं
हूँ।
रस्मों से तो
नहीं, अपनाया है
तुम्हें दिल से,
फिर भी तेरे
मेरा, कभी भी
साथ ना देने
से,
ना उम्र बढ़
जाएगी तेरी, ना
तू ही मिलेंगा,
फिर भी तुझ
से अलग, तंहा
मैं चाँद देखतीं
हूँ।
इश्क़ पाक है
मेरा, कम नहीं
किसी इबादत से,
मेरी मोहब्बत में, मुझे
सोचकर तेरे वो
चाँद ताकने से,
ना उम्र बढ़
जाएगी तेरी, ना
तू ही मिलेंगा,
फिर भी तुझ
से अलग, तंहा
मैं चाँद देखतीं
हूँ।
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