मेरे जज़्बात मुझ तक रहने दे, एक दरया है, मुझे इन लहरों में बहने दे,
एक आग है, तपिश है जला देने वाली, मुझे अकेले ही मुहब्बत में जलने दे।
ये समझदारी की बातें नही जो तुम समझ सको, हमे यू ही नादान-नासमझ रहने दे,
कोई पागल कहता है तो कह ले, हमे इस हाल में ही अब ये ज़माना रहने दे।
ये दिल है मजबूर अपने ही हाथो, दुनियादारी की बातें हमसे अब रहने दे,
जिसे सूकून तेरे ख़यालों में ही मिलता हो, उसे इबादत के तरीके रहने दे।
तूने जाने को कह दिया और हम चल दिये, तेरी ख़ुशी के लिए, हमे तंहा ही जीने दे,
ज़िंदगी बड़ी बेज़ार होकर गुज़ारी हमने, अब जन्नत के बदले तुझे माँग लेने दे।