Thursday, 31 March 2016

Unsaid Love



Love is a bond...
A unique spiritual tie,
Between two souls an unbreakable relation,
Which is beyond any worldly calculation.

Love is a game...
A secret mission planted by nature,
It's a responsibility to be carried between two,
A selfless care protecting from all damages.
Love is a journey…
A sentiment traveling from one to another,
Hearts connected with each other and beat,
Silence speaks, feelings conveyed without bridge of words.

Love is a promise...
A promise to keep life long,
Unsaid and untold to undergo it's worth lifetime,
A truth of worthiness and loyalty for each other.

Love is a faith…
Close to blind as love is known for,
A trust needed to keep in-between,
So that no obstacle can break a concrete relation.


Love is spiritual...
An internal dealing to enlighten souls,
A natural fire to ignite same sentiments,
In two pure hearts to connect and to feel love!










Tuesday, 29 March 2016

ऐ ज़िदगी!





ऐ ज़िदगी! तेरे सैकड़ों फ़लसफ़ो के ख़ातिर, तुझे सजदे हज़ार,

हर मोड़ पर नये हुस्न-ओ-फ़रेब, हर लम्हे में तेरे, मुहब्बतें बेहिसाब।


कभी रोशन सी सुबह तेरी, कभी खौफनाक से, हर सू अंधेरे साए,

कुदरत के सतरंगी बिखरे रंग सुहाने और हर तरफ फैला हुआ शबाब।


तुझ पे एतबार करे भी तो कैसे, फ़ितरतन तू है सदियों से बेवफ़ा,

कहीं सहरा के दिल फ़रेब शरारे, कहीं ख़ुशियों का समंदर लाजवाब।


तुझ से है कायनात सारी और उस से जुड़ी ये ज़िंदगियाँ हमारीं,

तेरे हर रंग से रंगना सीखा मुख़्तलिफ़, कोई फ़रिश्ता सीरत तो कोई इंसान ख़राब।


ख़फ़ा क्यों है ख़ुद से, रोता है क्यों ग़र किसी ने अपना बना कर तुझे छला,

देख बहारों की दिलकश महफ़िल और बाँहें फैलाए कोई और हमनवाब।






Thursday, 10 March 2016

अहसास



ये दर्द कैसा है रूबरू मुझ में, साँसों में रवाँ है बेबसी से और ख़त्म नहीं होता,

एक सदा तो सुनाई देती है, मुड़ के देखती हुँ तो कोई हमसफ़र नहीं होता।


अदा करनी होगी मेरी रूह को क़ीमत, मर-मर के जीने की कुछ इस तरह,

यू बार-बार मौत के दर पर खड़े हो कर मुझ से भी अब, जीना नहीं होता।


क्या है वो अंजान अहसास मरने का, जो इस तरह दस्तक दे के लौट जाया करता है,

ज़िदगी से कर देता है जुदा मुझे,पर ख़ुदाया वो मौत भी नहीं होता।


मैं ये नहीं कहती के खुआईशे मुझ में ना रही, मैं बेज़ार हो गई और कोई तलब ना रही,

धड़कते दिल और साँसों का सिलसिला, हमेशा ज़िदगी का निशाँ नहीं होता।


दिल--नादाँ की बेबसी देखिये, हर बार करता है दावे मुहब्बत के बेपनाह,


अरे वो अमानत है किसी ग़ैर की, तेरा होता तो, तुझे मिल ना गया होता।

वसीहत




सुनो,

कुछ सौंपना था तुम्हें ,

जो तुम्हारा ही है, सदियों से,

बस यू ही लापता और लावारिस ही रहा,

कुछ मैं ख़ामोश रही, कुछ तुम अंजान रहे।


सुनो,

कब तक बचेंगे दोनों,

एक हक़ीक़त से, आँखें मूँद कर,

जानकर भी सब और महसूस भी कर के,

ऐसे तो क़ुदरत के सच नहीं बदल जाया करते।


सुनो,

मुझे ग़लत तो नहीं समझ लोगे ना,

कोई खुआईशे नहीं कर रही तुमसे,

फिर भी तुमसे ही कहने हैं, सब अहसास अपने,

एक कारवाँ है साथ मेरे, जो मंज़िल पर पहुँचाना है।


सुनो,

थक सी गई हुँ मै इन्हें ढोते-ढोते,

ज़ख़्म कोई लाईलाज से हो रूह पर जैसे,

ये अमानत है तुम्हारी, सो तुम्हें ही सौंपनी है,

वसीहत ये जज़्बातों की तुम्हारे ही नाम करनी है।


सुनो,

कहना है के मुहब्बत है तुमसे बेपनाह,

रिश्ता है दुनियादारी से परे, एक रूहानी सा,

साँसो के सिलसिले को कैसे कह दूँ ज़िदगी मैं,

धड़कने महज़ दिल की ज़िंदा रखने का ज़रिया थी।


सुनो,

ये मेरा जिस्म रहा तो है ज़िंदा बाक़ायदा,

लेकिन रूह रही तेरी तमन्ना में तड़पती सी,

गर अलविदा कह दूँ दुनिया को तो क्या,

आओगे ना मेरी आख़िरी बिदाई को तुम?


सुनो,

मुझे श़क नहीं तेरी वफ़ा पर ज़रा भी,

पर ये लाज़मी नहीं के तुम मेरे लिए परेशां हों,

तेरी तमन्ना मे आई थी, पर अब एक इलतिजा है,

हो सके तो गिरफत से मुहब्बत की रिहा कर दो मुझे।