Sunday, 11 December 2016

मेरी हमनवॉ

एक चंचल, शोख़, चुलबुली, दिल फ़रेब हंसी ख़ूबसूरत-सी,
बहुत याद आती है वो लड़की, मेरे यादों के ख़ज़ाने मे बसी हुई।

बात-बात पर हँस जाना, कभी रो देना ज़ार-ज़ार करके बातें बडी-सी,
बहुत याद आती है वो लड़की, मेरे ख्वाबों में ख़ुशबू सी बसी हुई।


कभी इतराना बच्चों-सा, कभी चौंका देना करके बातें गहरी-सी, बहुत याद आती है वो लड़की, ख़यालों में दस्तक देती हुई।


 वो सम्भालना उसे, कभी समझाना, मुझ से प्यार और मुझ से ही उलझती-सी,
बहुत याद आती है वो लड़की, मेरे दिल से लगा के रखी, सुनहरी डायरी बनी हुई।


 रिश्ता जो, एक रेशम की डोर से बंध गया, मेरे दिल की अनकही कहानी सी,

बहुत याद आती है वो लड़की, मेरी हमनवॉ, दिल की वो राहत रूहानी-सी।





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