कुछ वो अहसास जो किसी के दिल से फिसल कर
लबों की दहलीज़ पर हौले से उतर आए
,
सरग़ोशी
की तपीश पिघला गई और हसींन खुआब, किसी के सच की
तरह चमक उठा।
झुक गई किसी हसीं की पलके, नए ईश्क के अनगिनत अनछूए अहसासों में डूब कर,
सिहर सा गया सोच कर कुछ, कोई महज़ लफ़्ज़ों की अजीबोग़रीब छुआन भर से।
वो मासूम सा अहसास ओस की बूँद-सा किसी की रूह में छुपा होगा जाने कितनी सदियों से,
तभी उतर
गया दिल में, किसी के कहने भर से और लम्हों को यादगार बना गया उम्र भर को।
उस पाक मुहब्बत का एहतराम और सलाम उस जज़्बे को जो अनकहे रिश्ते में बाँध जाए,
रस्मों और जिस्मों की दरकारों से परे, ईश्क के रंग में लिपटे जज़्बाती पाक रिश्ते।
एक मुट्ठी जुर्रत चाहिए उलझने को जहाँन से, गर हमसफ़र बनाने को चाहिए वो शक्स,
वरना फिर रह जाएगी तड़प ज़िंदगी भर के मलाल के साथ, दो जिस्म तड़पा करेंगे बिछड़ कर यू।
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