मोहब्बत के पिघलते लम्हों में हमनवा, तेरे साथ होने की महक,
वो ख़ुशी तेरे रूबरू होने की और वो मेरा मुलाक़ात का शौक़।
ये क़ुरबत, वो मोहब्बत, वो दम-बा-दम फिसलते हुए पल,
तेरे इश्क़ की आदत और वो फिर बिछड़ जाने का ख़ौफ़।
रूहानी इश्क़ ये, क़तरा-क़तरा जी ली ज़िन्दगी इन पलो में,
सौंप दिए ये जज़्बात, जलते चरागों-सा रोशन करके हमने।
तेरा हाथ ये मेरे हाथ में, थमा है मेरी नज़रो ने तेरी नज़रो को,
सब्र मेरी मुद्दतो के इंतज़ार का, देखो मेरी मोहब्बत ख़ामोश।
नज़र तेरे नूर से रोशन, दिल पुरसुकून हुआ जाता है तुझे देखकर,
ज़हन-ओ-दिल दुनिया से बेख़बर, के तू मेरा ख़ुशनुमा-सा है ज़ौक़।
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