Sunday 6 May 2018

मुलाकात





वो सदियो की गुमशुदी के बाद, यू के बैठे हैं, मेरे पहलू में,
मैं अब उनका सब्र देखू, के अपनी इंतिज़ार की इंतिहा देखू।

धडकने तेज़ हैं इतनी, के शौर-सा सुनाई देता है सन्नाटे में,
मैं उनका हाले-दिल देखू, के ये अपने बेकाबू जज़बात देखू।

खामोशी के आलम में कभी किसी से कुछ ना कहा मैंने,
मै अब उनके बेज़ुबा शिकवे देखू, के अपना हाले दिल देखू।

जल उठे के चिराग़--दिल अब, के रोशनी हर सू हो गई,
मैं अब उनकी हया देखू, के अपने उठते दिल के अरमा देखू।

चलो तुम ही गिरा दो ये दिवार जो दरमिया है तुम्हारे और मेरे,
अब करीब हैं हम, के तुम, मुझे देखो और मैं, सिर्फ तुम्हे देखू।


मुहब्बतनामा


The Sufi traditions described the seven stages of love as Dilkashi (Attraction), Uns (Attachment), mohabbat (Love),akidat (Trust/Reverence), Ebadat (Worship), Junoon (Madness) and Maut(Death).

मुहब्बतनामा
************
मौत को, यू ही नहीं पा जाता है ईश्क,
जूनून से उलझा होगा,कोई बेबस, तंहा,
इबादत की होगी, किसी को ख़ुदा बनाकर,
अकीतद से उसकी, फिर कोई खेल गया होगा,
मुहब्बत का सफ़र, तुम असां ना समझ लेना,
उनस यू कभी, अजनबियों से हुअा करती नहीं,
दिलकशी मोहताज नहीं किसी ख़ास वज़ह की।

दिलकशी में यू दो रूहो का होता है टकराना,
उनस है जो बाँध देता है, अनदेखी डोरियो से,
मुहब्बत का अहसास, फिर छू के गुज़रता है उन्हें,
अकीदत की बुनियाद, गर हो दोनो के दरमियाँ,
ईबादत सा पाक, रूहानी ईश्क हुआ करता है,
जूनून ना हो दो दिलों में, तो क्या पाएगा मंजि़ल,
मौत में फना होके, ईश्क सदियों, जीया करता है।

मौत को चख़ना क्या होता है, कोई पूछे हमसे,
जूनून सा था, जो पा जाना चाहता था अंजाम,
ईबादत का शऊर सिखा गया कोई अपनी अजनबी,
अकीदत से बंध गए किसी की हम, यू ताउम्र के लिए,
मुहब्बत का एक अजब-सा नशा है, जो सर चढ़ गया,
उनस थी किसी की, जो बना गई, ग़ैर को अपना,
दिलकशी थी दिल की, जो दिल की लगी बन गई।