Saturday 27 July 2019

मुलाकात




बेताबियों का सिलसिला है हर सूशबोरोज़ इस कदर तंहा कर गए,
ग़र यू बिछड़ना ही था,तो मुलाकात क्यों हमसे यू कर गए।

दिल है बेचैनज़हन परेशॉ-सानिग़ाहें भटक रहीं है दर--दर,
वो आए महमान बनकर दो दिन और फिर पूरा शहर सूना कर गए।

ज़िद थी कभी तुझे पाने कीवो जूनून की हद तक,
वो मिलने आए हमारे मरने से पहलेदुआएँ पूरी होते ज़माने लग गए।

कह दो के ले जाए वो फूलतोफ़ेअहसास और यादें सारी,
इस क़दर मुहब्बत दी केहमें अपनों में ग़ैर वो कर गए।

एक शिकवा था ज़िदगी में के मुहब्बत ना मिली हमें कभी,
वो आए महर्बा बनकर और मुहब्बत मुक्कमल कर गए।