Sunday 6 November 2022

तूने देखा ही नहीं

ये जद्दोजहद नाम है ज़िन्दगी का, दर्द है तो ज़िन्दगी है और ज़िंदा है तू,

तूने आज़ाद ही नहीं किया जिसने जाना चाहा, इसलिए वो तुझमें से गया नहीं।

 

क्यों पुकारता है उसे जो सुनेगा नहीं, तमन्ना क्या करनी, जो आयेगा नहीं,

ख़ुद के लिए मांग ले दुआयें, सुनहरा है मुस्तकबिल, तूने वो देखा ही नहीं।

 

जाने दे जो बीत गया, तू दस्तक सुन के उन पलो की जो आने को हैं,

ख़ुशियाँ भी आएगीं, फिर सब बादस्तूर चलेगा तूने आगे देखा ही नहीं।

 

वक़्त से पहले मरता नहीं कोई, वो आमाल कर गया क़यामत तक के लिए,

 हर जान को ख़ाक होना है, तू जी ले खुलकर के फ़ना अभी तुझे होना नहीं।

 

सब्र गर ना भी आया तो आदत हो जाएगी दर्द की, वो जुदा हो सकता नहीं,

ज़िंदा रहेगा वो तुझमें, इस जहान में दर्ज अपनी मौजूदगी तू करता क्यों नहीं।