Tuesday 9 March 2021

सुनो

 


 

सुनो

अपनी कहानी हम, अब शुरू से शुरू करते हैं,

उस मोड़ पर वापिस मिलते हैं, जहाँ हम पहले मिले थे,

फिर उसी तरह से उलझते हैं, वैसे ही जैसे पहले उलझ गये थे।

 

सुनो,

तुम वैसे ही चिढ़ जाना, मैं भी तुम पर ख़फ़ा हो जाऊँगी,

तुम मुझे मनाने की वैसे ही मन्नते और कोशिशे करना,

मैं पहले की तरह सब नाराज़गी भूलकर, फिर मान जाऊँगी।

 

सुनो

तुम मोहब्बत की बात कहना, मैं झूट समझकर हाथ झटक दूँगी,

दिल फिर इतबार करेगा तुझ पर और ज़हन फिर हार जायेगा,

मैं फिर तस्लीम कर लूंगी और कह दूंगी केसिर्फ़ तुमसे प्यार है।

 

सुनो

इस दफ़ा कुछ अलग करना, ग़र मैं जाने को कहु तो नामंज़ूर कर देना,

हक़ से कह देना के, दो रूह कहीं ऐसे जुदा हुआ करती हैं?

कह देना के तुम्हे जुदा होकर ताउम्र, यू तिल-तिल मरना, मंज़ूर नहीं।

 

सुनो

रिश्ता किसी के अपनाने से भले ही परे हो,पर इस दफ़ा तुम अपना लेना

मनवा लेना बात अपनी, यकीं दिलाना के हाथ थामने की हिम्मत है तुममें,

मैं आज भी वहीं खड़ी हूँ, उसी मोड़ पर तेरे वापिस बुलाने के इंतेज़ार में।